||| विकसित वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम (VVVP) और NGOs की भूमिका. |||
( भारत के सीमावर्ती और ग्रामीण क्षेत्रों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक पहल )
A ) भूमिका
भारत एक कृषि प्रधान देश है जहाँ आज भी अधिकांश जनसंख्या गांवों में निवास करती है। गांवों का विकास, भारत के समग्र विकास का मेरुदंड है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने "विकसित भारत @2047" के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु अनेक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम प्रारंभ किए हैं। इन्हीं में से एक है — विकसित वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (Viksit Vibrant Villages Program)।
इस कार्यक्रम के माध्यम से सरकार सीमावर्ती, दुर्गम और पिछड़े गांवों को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित कर उन्हें आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय दृष्टि से समृद्ध बनाने का प्रयास कर रही है।
B ) विकसित वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVVP) क्या है?
विकसित वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVVP) का मुख्य उद्देश्य है — भारत के सीमावर्ती और पिछड़े गांवों का समग्र एवं टिकाऊ विकास करना ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और राष्ट्रीय सुरक्षा तथा आर्थिक सशक्तिकरण में योगदान दे सकें।
C ) कार्यक्रम के प्रमुख लक्ष्य:
* सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास (सड़क, बिजली, जल, स्वास्थ्य, शिक्षा)।
* आजीविका के अवसरों का सृजन और पलायन पर रोक।
* स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण एवं संवर्धन।
* गांवों को डिजिटल इंडिया मिशन से जोड़ना।
* पर्यावरणीय संरक्षण को बढ़ावा देना।
* सीमावर्ती सुरक्षा को स्थानीय सहभागिता के माध्यम से मजबूत करना।
* ग्रामीण पर्यटन और कृषि-आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना।
यह कार्यक्रम विशेष रूप से भारत-चीन, भारत-नेपाल, भारत-भूटान, भारत-पाकिस्तान और भारत-म्यांमार सीमा के निकटवर्ती गांवों पर केंद्रित है।
D ) NGO की भूमिका और इसमें शामिल होने की प्रक्रिया
गांवों के वास्तविक और सतत विकास के लिए स्थानीय सहभागिता अत्यंत आवश्यक है। सरकार मानती है कि NGO (गैर-सरकारी संगठन) इस कार्य में महत्वपूर्ण भागीदार बन सकते हैं। NGOs को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे:
1. पंजीकरण और पात्रता
* NGO का विधिवत पंजीकरण होना चाहिए (Societies Registration Act, 1860 / Indian Trust Act, 1882 / Section 8 Company Act, 2013 के तहत)।
* NGO को NITI Aayog के NGO-DARPAN पोर्टल पर पंजीकृत होना अनिवार्य है।
* NGO का कम से कम 3 वर्षों का कार्यानुभव होना चाहिए, विशेषकर ग्रामीण विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण, आदि क्षेत्रों में।
* वार्षिक लेखा परीक्षण (Audited Accounts) एवं वार्षिक रिपोर्ट (Annual Report) सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होनी चाहिए।
2. परियोजना प्रस्ताव तैयार करना
* NGO को अपनी विशेषज्ञता के अनुसार एक व्यापक प्रोजेक्ट प्रपोजल बनाना होगा।
* प्रस्ताव में निम्नलिखित प्रमुख बातें स्पष्ट होनी चाहिए:
* प्रस्तावित कार्य क्षेत्र (गांवों का चयन)।
* समस्याओं की पहचान और समाधान के तरीके।
* लक्षित लाभार्थी (महिला, युवा, किसान, बच्चे आदि)।
* क्रियान्वयन योजना (Action Plan)।
* समयसीमा (Timeline)।
* अपेक्षित परिणाम (Expected Outcomes)।
* बजट और वित्तीय आवश्यकता (Budget Requirements)।
3. सरकारी अधिकारियों से समन्वय स्थापित करना
* जिला मजिस्ट्रेट (DM) / उपायुक्त (DC) / संबंधित विभागों (जैसे ग्रामीण विकास विभाग, आदिवासी कार्य मंत्रालय, गृह मंत्रालय) से संपर्क स्थापित करें।
* संबंधित राज्य सरकारों द्वारा "वाइब्रेंट विलेज" के लिए चयनित गांवों की सूची प्राप्त करें।
* जहां आवश्यकता हो, वहां Expression of Interest (EOI) अथवा Request for Proposal (RFP) के माध्यम से आवेदन करें।
4. साझेदारी हेतु MoU करना
* प्रस्ताव स्वीकृत होने के उपरांत, NGO को संबंधित सरकारी इकाई के साथ Memorandum of Understanding (MoU) हस्ताक्षरित करना होता है।
* MoU में कार्यक्षेत्र, जिम्मेदारियाँ, कार्यप्रणाली, निगरानी और रिपोर्टिंग तंत्र आदि स्पष्ट रूप से उल्लिखित होते हैं।
5. क्रियान्वयन, निगरानी और रिपोर्टिंग
* NGO को कार्य योजना के अनुरूप जमीनी स्तर पर कार्य करना होगा।
* परियोजना की मासिक/त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट, फाइनेंशियल स्टेटमेंट, और फील्ड वेरिफिकेशन रिपोर्ट जिला प्रशासन तथा संबंधित मंत्रालय को समय-समय पर भेजनी होगी।
* सोशल ऑडिट, थर्ड पार्टी इवैल्यूएशन और फील्ड इंस्पेक्शन के लिए तैयार रहना होगा।
E ) NGO किन प्रमुख क्षेत्रों में योगदान दे सकते हैं?
A. बुनियादी ढांचा विकास
* ग्रामीण सड़कों का निर्माण और सुधार।
* सामुदायिक भवन, खेल मैदान, पुस्तकालय, स्वास्थ्य उपकेंद्र का निर्माण।
* जलापूर्ति और स्वच्छता परियोजनाएँ।
B. शिक्षा और डिजिटल साक्षरता
* प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा में सुधार।
* डिजिटल लर्निंग सेंटर की स्थापना।
* स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम और व्यावसायिक प्रशिक्षण।
C. स्वास्थ्य और पोषण
* मोबाइल हेल्थ क्लीनिक, टेलीमेडिसिन सुविधाएँ।
* मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम।
* पोषण जागरूकता अभियान।
D. आजीविका संवर्द्धन और कृषि विकास
* किसानों के लिए तकनीकी प्रशिक्षण।
* महिला स्वयं सहायता समूह (SHGs) का गठन और सशक्तिकरण।
* ग्रामीण पर्यटन, हस्तशिल्प, और कुटीर उद्योगों का विकास।
E. पर्यावरणीय संरक्षण
* जल संरक्षण योजनाएँ (Rainwater Harvesting)।
* सौर ऊर्जा, बायोगैस और अन्य हरित ऊर्जा परियोजनाएँ।
* वृक्षारोपण अभियान और जैव विविधता संरक्षण।
F. सांस्कृतिक संवर्धन और राष्ट्रीय एकता
* लोक संस्कृति, पारंपरिक कलाओं और हस्तशिल्प को पुनर्जीवित करना।
* स्थानीय पर्वों, मेले और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन।
निष्कर्ष
विकसित वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम भारत के ग्रामीण पुनरुत्थान की एक महान कल्पना है, जो गांवों को केवल आत्मनिर्भर ही नहीं बनाएगा, बल्कि उन्हें वैश्विक मानकों के अनुरूप विकसित करेगा। इस यज्ञ में NGOs की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
एक सक्रिय, पारदर्शी और प्रतिबद्ध NGO इस कार्यक्रम के माध्यम से गांवों का कायाकल्प कर सकता है, ग्रामीण युवाओं को सम्मानजनक जीवन दे सकता है और भारत को "विकसित राष्ट्र" की ओर तीव्रता से अग्रसर कर सकता है।